Saturday, April 25, 2009

Vyasa Krit Shree Bhagwati Stotram व्यासकृतं श्रीभगवतीस्तोत्रम्

व्यासकृतं श्रीभगवतीस्तोत्रम्
Vyasa Krit Shree Bhagwati Stotram
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।

जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥१॥

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।

जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥३॥

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।

जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥३॥

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।

जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥४॥

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।

जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्िछतदायिनि सिद्धिवरे॥५॥

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।

गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥६॥


॥इति श्रीव्यासकृतं श्रीभगवतीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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1 comment:

Anonymous said...

very useful mantra! Thanks a lot! I also need mahalakshmi stotram which will be chanted daily