Sunday, September 20, 2009

Maa Kali Aarti काली

श्री ज्वाला कालीजी

‘मंगल’ की सेवा, सुन मेरी देवा ! हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।
पान-सुपारी, ध्वाजा-नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे ॥
सुन जगदम्बे न कर बिलंबे संतनके भंडार भरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥
‘बुद्ध’ विधाता तू जगमाता मेरा कारज सिद्ध करे ।
चरण-कमलका लिया आसरा शरण तुम्हारी आन परे ॥
जब-जब भीड पडे भक्तनपर तब-तब आय सहाय करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥
‘गुरु’ के बार सकल जग मोह्यो तरुणीरूप अनूप धरे ।
माता होकर पुत्र खिलावै, कहीं भार्या भोग करे ॥
‘शुक्र’ सुखदाई सदा सहाई संत खडें जयकार करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥
ब्रह्मा विष्णु महेस फल लिये भेंट देन तव द्वार खडे ।
अटल सिंहासन बैठी माता सिर सोनेका छत्र फिरे ॥
वार ‘शनिश्चर’ कुंकुम बरणी, जब लुंकडपर हुकुम करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥
खड्ग खपर त्रैशूल हाथ लिये रक्तबीजकूँ भस्म करे ।
शुंभ निशुंभ क्षणहिमें मारे महिषासुरको पकड दले ॥
‘आदित’ वारी आदि भवानी जन अपनेका कष्ट हरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥
कुपित होय कर दानव मारे चण्ड मुण्ड सब चूर करे ।
जब तुम देखौ दयारूप हो, पलमें संकट दूर टरे ॥
‘सोम’ स्वभाव धर्यो मेरी माता जनकी अर्ज कबूल करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥
सात बारकी महिमा बरनी सब गुण कौन बखान करे ।
सिंहपीठपर चढी भवानी अटल भवनमें राज्य करे ॥
दर्शन पावें मंगल गावें सिध साधक तेरी भेट धरे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥
ब्रह्मा वेद पढें तेरे द्वारे शिवशंकर हरि ध्यान करे ।
इन्द्र कृष्ण तेरी करैं आरती चमर कुबेर डुलाय करे ॥
जय जननी जय मातु भवानी अचल भवनमें राज्य करे ।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे ॥











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