Tuesday, December 30, 2008

श्रीगणेशजी की आरती Shri Ganesh (Ganpati) Arati

श्रीगणेशजी की आरती

गणपति की सेवा मंगल मेवा सेवा से सब विघ्न टरे

तीन लोकके सकल देवता द्वार खडे नित अरज करे
जय दु:ख हरता गजान्न जय सुख करता
जयति करता भरता जगके ऋद्धी सिद्धी के भरता ॥


ऋद्धी सिद्धी दक्षिण वाम विराजे, अरु आंनद से चवँर ढ़ुले 
धूप दीप और लिये आरती भक्त खडे जयकार करे 
गुड के मोदक भोग लगे हैं, मुषक वाहन चढ़े फरे 
सौम्यरुप सेवा गणपति की, विघ्न भाग जाय दूर पडे 
जय दु:ख हरता गजान्न जय सुख करता
जयति करता भरता जगके ऋद्धी सिद्धी के भरता ॥

भादों मास और शुक्ल चतुर्थी दिन दोपहरी पूर्ण पडे 
लियो जन्म गणपति प्रभुजी ने पार्वती मन आनंद भये
अद्भुत बाजे बजे इंद्र का, देववधू मिल गान करे
श्री शंकर घर आनंद उपज्यों, नर नारी मन मोद करे
जय दु:ख हरता गजान्न जय सुख करता
जयति करता भरता जगके ऋद्धी सिद्धी के भरता ॥

आनि विधाता बैठे आसन, इंद्र अप्सरा नृत्य करे 
देख रुप ब्रम्हाजी शिसको विघ्नविनायक नाम धरे 
एक दंत गजबदन विनायक, त्रिनयन रुप अनूप धरे
पग खम्बा सा उदर पुष्ट हैं देख चंद्रमा हास्य करे
जय दु:ख हरता गजान्न जय सुख करता
जयति करता भरता जगके ऋद्धी सिद्धी के भरता ॥

दियो श्राप श्री चंद्र देव को कलाहीन तत्काल करे
चौदह लोक मे फिरे गणपति तीन भवन में राज्य करे 
गणपति की पूजा नित करनेसे, काम सभी निर्विघ्न सरै ।
पूजा कार जो गाय आरती, ताके सिर यश छत्र फिर
जय दु:ख हरता गजान्न जय सुख करता
जयति करता भरता जगके ऋद्धी सिद्धी के भरता ॥

जो जन मंगल कार्य से पहिले श्रीगणेशका ध्यान करे
कारज उनके सकल सफल हो मनोकामना पूर्ण करे
गणपति की सेवा मंगल मेवा सेवा से सब विघ्न टरे
तीन लोकके सकल देवता द्वार खडे नित अरज कारे 
 जय दु:ख हरता गजान्न जय सुख करता 
जयति करता भरता जगके ऋद्धी सिद्धी के भरता ॥


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Friday, December 26, 2008

श्री दुर्गा जी की आरती - जगजननी जय (Arati Maa Durga)

श्री दुर्गा जी की आरती 

जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय॥

तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।
सत्य सनातन, सुन्दर पर-शिव सुर-भूपा॥

आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।
अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥
अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।
कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥

तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।
मूल प्रकृति, विद्या तू, तू जननी जाया॥

राम, कृष्ण तू, सीता, ब्रजरानी राधा।
तू वा†छाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाघा॥

दश विद्या, नव दुर्गा नाना शस्त्रकरा।
अष्टमातृका, योगिनि, नव-नव रूप धरा॥

तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू।
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू॥

सुर-मुनि मोहिनि सौम्या, तू शोभाधारा।
विवसन विकट सरुपा, प्रलयमयी, धारा॥

तू ही स्नेहसुधामयी, तू अति गरलमना।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना॥

मूलाधार निवासिनि, इह-पर सिद्धिप्रदे।
कालातीता काली, कमला तू वरदे॥

शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी।
भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥

हम अति दीन दु:खी माँ! विपत जाल घेरे।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे॥

निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै।
करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
 This is my favorite arati since its encompasses many aspect of  Divine Mother,
JAI MAA DURGA
ॐ श्री दुर्गाये नमः

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अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली (Ambe Tu Hai Jagdambe Kali)

आरती दुर्गा माताजी की

अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली

Ambe Tu Hai Jagdambe Kali

ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥


अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥


तेरे भक्त जनो पर माता, भीर पडी है भारी माँ।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली, है अष्ट भुजाओ वाली,
दुष्टो को पलमे संहारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥


माँ बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
पूत - कपूत सुने है पर न, माता सुनी कुमाता ॥


सब पे करूणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखडे निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥


नही मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना माँ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे, इक छोटा सा कोना ॥


सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥


चरण शरण मे खडे तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो,मॉ सकंट हरने वाली।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली, भक्तो के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥

Ambe Tu Hai Jagdambe Kali
Jai Durge Khappar Wali
Tere Hi Gun Gaaye Bharati

!! O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti !!

Tere Jagat Ke Bhakt Janan Par Bhid Padi Hai Bhari Maa
Daanav Dal Par Toot Pado Maa Karke Singh Sawari
So So Singho Se Tu Bal Shali
Asth Bhujao Wali, Dushton Ko Pal Mein Sangharti

!! O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti !!

Maa Bete Ka Hai Ish Jag Mein Bada Hi Nirmal Nata
Poot Kaput Sune Hai Par Na Mata Suni Kumata
Sab Par Karuna Darshaney Wali, Amrut Barsaney Wali
Dukhiyon Ke Dukhdae Nivarti

!! O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti !!

Nahi Maangtey Dhan Aur Daulat Na Chaandi Na Sona Maa
Hum To Maangey Maa Tere Man Mein Ek Chota Sa Kona
Sab Ki Bigdi Banane Wali, Laaj Bachane Wali
Satiyo Ke Sat Ko Sanvarti

!! O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti !!



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Monday, December 22, 2008

Sankat Mochan Hanuman Ashtak (संकटमोचन हनुमानाष्टक)

संकटमोचन हनुमानाष्टक
मत्तगयन्द छन्द

बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहुँ लोक भयो अँधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥१॥


बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥२॥


अंगद के सँग लेन गये सिय खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो।
हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया-सुधि प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥३॥


रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥४॥


बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥५॥


रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥६॥


बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो।
जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत सँहारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥७॥


काज कियो बड़ देवन के तुम बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसों नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कुछ संकट होय हमारो।
को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो॥८॥ 

दोहा

लाल देह लाली लसे अरू धरि लाल लँगूर ।
बज्र देह दानव दलन जय जय कपि सूर ॥
सियावर रामचन्द्र पद गहि रहुँ ।
उमावर शम्भुनाथ पद गहि रहुँ ।
महावीर बजरँगी पद गहि रहुँ ।
शरणा गतो हरि ॥

इति गोस्वामि तुलसिदास कृत संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ॥
Mattgayand Chhand

1.
Baal Samay Rabi Bhakshi Liyo Tab Tinhu Lok Bhayo Andhiyaaro
Taahi So Tras Bhayo Jag Ko Yeh Sankat Kaahu Sau Jaat Ne Taaro
Devan Aani Kari Binti Tab Chadi Diyo Rab Kasht Nivaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


When a child, you gulped the Sun, the three worlds went dark
The world thus got into trouble, A crisis as such none could dispel
The gods then prayed to you, Sparing the sun, you eased their woe
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know


2.
Baal Ki Traas Kapis Basey Giri Jaat Mahaprabhu Panth Niharo
Chaunki Maha Muni Shaap Diyo Tab Chahiy Kaun Bichar Bicharo
Kay Dwij Roop Livaya Mahaprabhu So Tum Das Ke Sok Nivaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


Scared of Bali, Sugriv dwelt on the hill, Sent you to the Great Lord and return did await
The startled sage’s curse then, And what advice he needed you did deliberate
Guised as a brahmin, you fetched the Great Lord, Thus you relieved the devotee of sorrow
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know?


3.
Angad Ke Sang Len Gaye Siya Khoj Kapis Yeh Bain Ucharo
Jivat Na Bachiho Hum So Ju Bina Sudhi Laye Iha Pag Dhaaro
Her Thakey Tat Sindhu Sabey Tab Lay Siya-Sudh Pran Ubaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


Alongwith Angad you went to fetch Sita, “Find her”, the ape king did declare
“None of you I’ll spare, “Without her trace if you set in foot here!”
On the seaside when all were sick and tired, you found out Sita and saved their lives thus and so
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know?


4.
Raavan Traas Dai Siya Ko Sab Raakshashi So Kahi Sok Nivaaro
Taahi Samay Hanuman Mahaprabhu Jaaya Maha Rajnichar Maaro
Chahat Siya Asok So Aagi Su Dai Prabhu Mudrika Sok Nivaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


When Ravan struck fear into Sita, And asked all demonesses to ease his sorrow
Then O Hanuman, Lord the Great, You reached there
And to the huge demons, dealt a death blow; When Sita sought fire from the Ashok tree, Giving her the Lord’s ring, you eased her woe
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know?


5.
Baan Lagyo Ur Laxman Ke Tab Pran Tajey Sut Ravan Maaro
Ley Grah Baidya Sushen Samet Tabey Giri Dron Su Bir Upaaro
Aani Sajeevan Haath Dai Tab Laxman Ke Tum Pran Ubaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


When an arrow struck Lakshman’s chest, A deathly one that Ravan’s son did shoot
You brought the house and physician Sushen along
Then mount Drona with the shrub you did easily uproot
Arrived on time to hand over Sanjivani then, You helped save Lakshman’s life thus and so
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know?


6.
Ravan Judh Ajaan Kiyo Tab Naag Ki Faans Sabey Sir Daaro
ShriRagunath Samet Sabey Dal Moh Bhayo Yeh Sankat Bhaaro
Aani Khages Tabey Hanuman Ju Bandhan Kaati Sutraas Nivaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


When Ravan carried on foolish war, And serpent noose over heads of all did throw
Shri Raghunath and the whole corps, Deluded, it dealt a hard blow
Then arrived Garuda, thanks to Hamuman, He cut loose the bonds and ended the woe
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know?


7.
Bandhu Samet Jabey Ahiravan Ley Ragunath Pataal Sidhaaro
Debihi Puji BhaliBidhi So Bali Deoo Sabey Mili Mantra Bichaaro
Jaaya Sahaya Bhayo Tab Hi Ahiravan Sainya Samet Sanhaaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


When Ahiravan abducted Raghunath, Along with the younger brother to the nether region,
To propitiate the goddess ritually and offer sacrifice, He called in all for deliberation;
You reached for help at that instant, Ahiravan and the army were then laid low,
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know ?


8.
Kaaj Kiye Bad Devan Ke Tum Bir Mahaprabhu Dekhi Bichaaro
Kaun So Sankat Mor Garib Ko Jo Tumso Nahi Jaat Hai Taaro
Baig Haro Hanuman Mahaprabhu Jo Kuch Sankat Hoey Hamaro
Ko Nahi Jaanat Hai JagMein Kapi Sankatmochan Naam Tihaaro


Great feats for the gods you carried out, O Brave, Lord the Great, look and think over
Which crisis besetting poor me, You cannot blow over
O Hanuman, Lord the the Great, take away fast, Any danger towards us that may flow
Your title as the Danger Dispeller O Kapi, Who in the world doesn’t know?


Doha

Laal Deh Laali Lase Aru Dhari Laal Langoor
Bajra Deh Daanav Dalan Jay Jay Jay Kapi Soor


Red body anointed with red vermilion, Sporting as long-tailed red Simian;
Thunder-bolt like body that crushes the demons, Hail, hail, hail Kapi the Champion.



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Saturday, December 20, 2008

Jai Santoshi Mata aarti (श्री सन्तोषी माता जी की आरती)

श्री सन्तोषी माता जी की आरती

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता  
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता  
मैया जय सन्तोषी माता  


सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो
मैया माँ धारण कींहो
हीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो
मैया जय सन्तोषी माता .


गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे
मैया बदन कमल सोहे
मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे
मैया जय सन्तोषी माता .


स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारे
मैया चँवर डुले प्यारे
धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे
मैया जय सन्तोषी माता .


गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो
मैया ता में सन्तोष कियो
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो
मैया जय सन्तोषी माता .


शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही,
मैया आज दिवस सो ही
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मो ही
मैया जय सन्तोषी माता .


मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई
मैया मंगल ध्वनि छाई
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई
मैया जय सन्तोषी माता .


भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै
मैया अंगीकृत कीजै
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै
मैया जय सन्तोषी माता .


दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये
मैया संकट मुक्त किये
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये
मैया जय सन्तोषी माता .


ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो
मनवाँछित फल पायो
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो
मैया जय सन्तोषी माता .


चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे
मैया रखियो जगदम्बे
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे
मैया जय सन्तोषी माता .


सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे
मैया जो कोई जन गावे
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे
मैया जय सन्तोषी माता .


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Wednesday, December 17, 2008

Shree Devi Suktam (तन्त्रोक्तम् देवी सूक्तम् ) - SALUTATIONS to Maa Durga

नमो देव्यै महादेव्यै...

तन्त्रोक्तम् देवी सूक्तम्

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।

नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मताम् ॥१॥

We continuously salute that Goddess, Who is the Ruler of the world, Who is auspicion personified. We are prostrate, with hands together, before Prakriti and Bhadra. [1]

रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः ।

ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥२॥

Salutations to Raudraya, Nityaya, Gaurya, Dhatraya, and Jyotsnya. continuous salutes to the moon-faced Goddess, Who is blissful. [2]

कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः।

नैऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥३॥

Salutations for Kalyani, Vraddhi, Siddhi, and Kurma. Acquiring the grounds, salutations for Lakshmi Nairrti, and Sarvani.[3]

दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै ।

ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥४॥

Incessant salutes for Durga, Who is beyond the demon Durga, Who is the summary of everything, Who is the reason behind everything, and Who is popularity. Salutes for Krishnaya Dhumraya. [4]

अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः ।

नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः ॥५॥

Salutations for that Goddess, Who is very serene as well as very fierce. We are prostrate before You. Salutations for Devi, Who is the support of the world, and Who is the mundane existence. [5]

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥६॥

We salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of Vishnumaya; Salute to You, salute to You, salute to You. [6]

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥७॥

I salute that Goddess, Who is known as life inside every living being; Salute to You, salute to You, salute to You. [7]

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥८॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of wisdom; Salute to You, salute to You, salute to You. [8]

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥९॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of sleep; Salute to You, salute to You, salute to You. [9]

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१०॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of hunger; Salute to You, salute to You, salute to You. [10]

या देवी सर्वभूतेषु छायारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥११॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of shadow; Salute to You, salute to You, salute to You. [11]

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१२॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of Shakti or power; Salute to You, salute to You, salute to You. [12]

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१३॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of hunger; Salute to You, salute to You, salute to You. [13]

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१४॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of patience and forbearance; Salute to You, salute to You, salute to You. [14]

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१५॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of natural species; Salute to You, salute to You, salute to You. [15]

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१६॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of shyness; Salute to You, salute to You, salute to You. [16]

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१७॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of peace or rest; Salute to You, salute to You, salute to You. [17]

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१८॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of dedication; Salute to You, salute to You, salute to You. [18]

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥१९॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of splendor; Salute to You, salute to You, salute to You. [19]

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२०॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of wealth or Lakshmi; Salute to You, salute to You, salute to You. [20]

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२१॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of course of action; Salute to You, saluteto You, salute to You. [21]

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२२॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of memory; Salute to You, salute to You, salute to You. [22]

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२३॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of benevolence or mercy; Salute to You, salute to You, salute to You. [23]

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२४॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of satisfaction or contentment; Salute to You, salute to You, salute to You. [24]

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२५॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of mother; Salute to You, salute to You, salute to You. [25]

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२६॥

I salute that Goddess, Who is present inside every living being in the form of movement or power to move; Salute to You, salute to You, salute to You. [26]

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या ।

भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ॥२७॥

The Goddess Who is the controller of sense-organs, and present incessantly inside all the living-beings our salutations for that Goddess, Who is present inside every living being. [27]

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत् ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥२८॥

That Goddess Who is established, having pervaded the entire universe we salute again and again to that Goddess. [28]

स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता ।

करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ॥२९॥

In the old days, that Who was eulogized, by the means of earlier attained wealth, by the demi-gods and by Indra (the king of demi-gods) may that Goddess, Who is for auspicion, brings beautiful fortune to us and may She destroy the various calamities. [29]

या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै-रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते ।

या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नः सर्वापदो भक्तिविनम्रमूर्तिभिः ॥३०॥

That Goddess, to Whom we are saluting properly, while troubled by the demons; that Goddess, Whose devotion filled remembrance destroys any calamities or obstructions instantaneously may that Goddess remove our obstacles. [30]

Notes:

This eulogy appears in the period when Sumbha and Nisumbha overthrew the demi-gods and Indra. The demi-gods eulogized Vishnumaya with this poem.

Poet: Markandeya

Source: Durgasaptasati


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